नमस्कार दोस्तों !
'डॉलर व रुपये से आप महाजन कहला सकते,महान नहीं;महानतम तो वो होते हैं,जो आँधियों में दीये जला लेते है' में आप भी अवैतनिक रूप से लेखकीय सहायता कर सकते हैं । इनके लिए सिर्फ आप अपना या हितचिंतक Email से भेजिए स्वलिखित "मज़ेदार / लच्छेदार कहानी / कविता / काव्याणु / समीक्षा / आलेख / इनबॉक्स-इंटरव्यू इत्यादि"हमें Email -messengerofart94@gmail.com पर भेज देने की सादर कृपा की जाय ।
*प्रस्तुति:-
T. Manu
प्रधान प्रशासी-सह-प्रधान संपादक ।
Email - messengerofart94@gmail.com
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